चाँद का मुँह टेढ़ा है (Chaand ka munh terha hai)
मुक्तिबोध, गजानन माधव
चाँद का मुँह टेढ़ा है (Chaand ka munh terha hai) - आवृ. 16 - नई दिल्ली भारतीय ज्ञानपीठ 2004 - पृ. 295 - लोकोदय ग्रंथमाला : 201 .
8126308239
हिन्दी काव्य
प 383
चाँद का मुँह टेढ़ा है (Chaand ka munh terha hai) - आवृ. 16 - नई दिल्ली भारतीय ज्ञानपीठ 2004 - पृ. 295 - लोकोदय ग्रंथमाला : 201 .
8126308239
हिन्दी काव्य
प 383