चाँद का मुँह टेढ़ा है (Chaand ka munh terha hai)

मुक्तिबोध, गजानन माधव

चाँद का मुँह टेढ़ा है (Chaand ka munh terha hai) - आवृ. 16 - नई दिल्ली भारतीय ज्ञानपीठ 2004 - पृ. 295 - लोकोदय ग्रंथमाला : 201 .

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हिन्दी काव्य

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