नागर, अमृतलाल

शतरंज के मोहरे (Sataraj ki muharya) - आवृ . 3 - कलकत्ता भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन 1968 - पृ. 434


हिन्दी उपन्यास

उ 239