गिरीश, गिरजादत्त शुक्ल

गुप्त की काव्य-धारा (Gupta ki kavya-dhara) - आवृ. 5 - प्रयाग छात्रहितकारी पुस्तकमाला 1958 - पृ. 344


हिन्दी आलोचना

आ 454