व्दिवेदी, हजारीप्रसाद

प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद - आवृ. 3 - नयी दिल्ली राजकमल प्रकाशन 1963 - पृ. 192


हिन्दी उपन्यास

उ 421